रक्तदान करने और करवाने वालों के बारे में तो आपने खूब सुना होगा। मगर सोचिए कोई रक्तदान के लिए अपनी पूरी जिंदगी ही समर्पित कर दे तो आप क्या कहेंगे। हरियाणा के सिरसा जिले के गांव मिठनपुरा निवासी अमर सिंह नायक ने भी ऐसा कुछ किया है जिसकी वजह से उनका नाम ही ब्लड मैन पड़ गया। साक्षरता केंद्र में पढ़ाई करने वाले 55 वर्षीय अमर सिंह नायक पिछले 36 सालों से Blood Donation की ऐसी लौ जला रखी है कि आज भी निरंतर जल रही है।
Blood Donation के प्रति दीवानगी के चलते उसने अपने बेटे धर्मपाल की शादी में शर्त रखी कि वो ही बरात में जाएगा जो रक्तदान करेगा। इसके बाद नोहर में 114 लोगों ने रक्तदान किया और बारात में शामिल हुए। रक्तदान के लिए अब तक 395 शिविर आयोजित कर चुके हैं और खुद भी 100 से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं। अमर सिंह का कहना है कि रक्तदान शिविरों के आयोजन के लिए उन्होंने राजस्थान में अपनी तीन बीघा जमीन भी बेच दी। अमर सिंह मूल रूप से राजस्थान के टिब्बी तहसील के गांव श्योदानपुरा के रहने वाले हैं।
रक्तदान के लिए एक सड़क हादसे की घटना ने बदल दिया जिंदगी का उद्देश्य
एक छोटी सी घटना ने उनकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया और ये कारवां शुरू हुआ। The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए अमर सिंह ने बताया कि 1985 में सड़क हादसे में घायल एक युवक को सिरसा के अस्पताल में भर्ती करवाया था, वहां उसे रक्त की जरूरत हुई तो पहली बार रक्तदान किया। उसकी जान बच गई तो बहुत खुशी हुई, उसके बाद रक्तदान को अपने जीवन में शामिल कर लिया। अब परिवार में सभी लोग Blood Donation करते है।
रक्तदान का संदेश देकर करते है दूसरों को प्रेरित
Blood Donation के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए अमर सिंह साईकिल से पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में 7000 किलोमीटर तक की यात्रा कर चुके हैं। 23 जनवरी 2020 को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उन्हें सम्मानित किया। योग गुरु रामदेव से भी वे सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा पंजाब मेडिकल कॉलेज ने उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया है। इसके अलावा अनेक सस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया है।
अमर सिंह नायक ने कहा कि मैं नशों से दूर हूं और नियमित रूप से रक्तदान करता रहता हूं। रक्तदान करता हूं तो खुद को धन्य महसूस करता हूं कि मेरे कारण किसी की जान बच जाएगी, इलाज में मदद होगी। दूसरों को रक्तदान करने की प्रेरणा देने के लिए सात हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर चुका हूं। वर्ष 2007 में बड़े बेटे की शादी में बारातियाें को शामिल होने के लिए पहले रक्तदान की शर्त रखी तो रिश्तेदार भी नाराज हो गए थे परंतु बाद में सब मान गए। अमर सिंह का रक्तदान को लेकर ये जूनून कबीले तारीफ है।