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March 10, 2025

AI से महाकुंभ में होगा दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट, 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान

जहां एक ओर महाकुंभ 2025 श्रद्धालुओं की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा तो वहीं योगी सरकार मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट कर नया इतिहास बनाएगी। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से 45 करोड़ के बीच श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज आ सकते हैं। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का सही आकलन किया जा सके, इसके लिए योगी सरकार तकनीक के माध्यम से एक-एक श्रद्धालु का हेड काउंट करने जा रही है। यह महाकुंभ ही नहीं, बल्कि किसी भी बड़े आयोजन में दुनिया के अंदर सबसे बड़ा हेड काउंट हो सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला प्रशासन एआई तकनीक के साथ ही कई अन्य विधियों के जरिए इस उपलब्धि को हासिल करने का प्रयास करने में जुट गया है।

AI से लैस सीसीटीवी कैमरे करेंगे Mahakumbh के श्रद्धालुओं की गिनती

प्रयागराज में जब भी कुंभ या महाकुंभ का आयोजन होता है तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। हालांकि, अब तक इनकी संख्या को काउंट करने की कोई सटीक तकनीक नहीं थी। हालांकि, इस बार योगी सरकार एआई कैमरों के साथ ही कई अन्य तकनीकों का सहारा ले रही है, ताकि महाकुंभ में आने वाले एक-एक श्रद्धालु की गिनती की जा सके और उन्हें ट्रैक भी किया जा सके। इस संबंध में मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि इस बार महाकुंभ 2025 में 40 करोड़ से अधिक लोगों के आने की संभावना है, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड होगा। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की काउंटिंग और ट्रैकिंग के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए मेला क्षेत्र के अंदर 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जबकि शहर के अंदर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यही नहीं, 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं।

एआई के उपयोग से मिलेगी सफलता, मिलेगी सटीक जानकारी

मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि आईसीसीसी एवं पुलिस लाइन कंट्रोल रूम के अतिरिक्त अरैल एवं झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं, जहां से श्रद्धालुओं की मॉनिटरिंग करने का प्रयास किया जा रहा है। मंडलायुक्त ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हेड काउंट बड़ी चुनौती है, लेकिन इसमें एआई का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होगा। एआई का उपयोग करते हुए क्राउड डेंसिटी एल्गोरिदम से लोगों के काउंटिंग का भी प्रयास किया जा रहा है। एआई आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जनरेट करेगा, जिसके माध्यम से संबंधित अधिकारियों को श्रद्धालुओं की काउंटिंग एवं ट्रैकिंग करना आसान होगा। (AI in Mahakumbh)

Mahakumbh में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना, ऐसे होगी ट्रैकिंग

मेला क्षेत्र में स्थापित आईसीसीसी में हेड काउंट मॉडलिंग का कार्य देख रहे टेक्निकल स्टाफ के अनुसार हेड काउंट में एक श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल महत्वपूर्ण होता है। इसको ट्रैक करने के लिए टेक्नोलॉजी (Technology in Mahakumbh) का उपयोग किया जा रहा है। घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है। इसके तहत कोचरन्स फॉर्मूला के आधार पर सैंपल की संख्या निकाली जाती है। नॉन पीक दिनों में अनुमानित जनसंख्या 20 लाख और पीक दिनों में 10 करोड़ लेते हुए सैंपल काउंट किया जाता है। टर्न अराउंड समय निर्धारित 3 विधियों के माध्यम से प्राप्त सैंपल्स का औसत आंकड़ा होगा। इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज होगा, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाएगी। दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित होगा, जिसमें प्रमुख स्नान के साथ-साथ महाकुम्भ में प्रत्येक दिन आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड प्रदान किए जाएंगे।

95 प्रतिशत तक लगाया जा सकेगा सटीक अनुमान

आरएफआईडी रीडर के माध्यम से रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया, कितनी देर वह अंदर रहा और कितनी देर बाहर रहा। तीसरी विधि मोबाइल एप के द्वारा ट्रैकिंग होगी, जिसमें तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा सकेगी। इन सभी विधियों के माध्यम से हेड काउंट की टेस्टिंग का कार्य प्रगति पर है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के हेड काउंट के लिए एआई कैमरों का वृहद स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। यह कैमरे हर मिनट डाटा को अपडेट करेंगे। पूरा फोकस घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं पर होगा। यह सिस्टम सुबह 3 बजे से शाम 7 बजे तक पूरी तरह एक्टिव रहेगा, क्योंकि स्नान का प्रमुख समय यही माना गया है। इससे पहले माघ मेला के दौरान भी इन विधियों का उपयोग किया गया था। इसके माध्यम से हेड काउंट का 95 प्रतिशत तक सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
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