February 2, 2025

कोरोना पर 342 करोड़ में से किया सिर्फ 23 करोड़ खर्च

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महाराष्ट्र देश का वो राज्य जहां लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे है, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई चीन की वुहान बन गयी है, आम जनमानस के साथ ही मंत्री, संत्री, पुलिस, पत्रकार हर कोई कोरोना की चपेट में आ रहा है। मामला लगातार गंभीर बना हुआ है, अस्पतालों में इलाज के लिए जगह नहीं है, लोगों की मौत हो रही है लेकिन महाराष्ट्र सरकार का गज़ब कार्य भार है। महाराष्ट्र के सीएम रिलीफ फंड कोविड 19 अकाउंट में दानदाताओं ने की हुई मदद से 342 करोड़ रुपए जमा हुए जबकि जिस कोविड के नाम पर दान दिया गया उसपर सिर्फ 23.82 करोड़ रुपये ही अबतक खर्च किया गया है। और तो और ताज्जुब की बात यह भी हैं कि सबसे अधिक धनराशि 55.20 करोड़ की रकम प्रवासी मजदूरों की यात्रा पर खर्च हुई हैं। वही 80 लाख रुपए औरंगाबाद रेल दुर्घटना के प्रभावितों को दिए गए हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने 342 करोड़ में से कोरोना पर सिर्फ 23 करोड़ किये खर्च

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने रिलीफ फंड कोविड 19 अकाउंट में जमा हुई कुल धनराशि और आवंटित रकम का ब्यौरा मांगा था। सीएम रिलीफ फंड के सहायक लेखाधिकारी मिलिंद क़ाबाडी ने आरटीआई के तहत जानकारी देते हुए बताया कि 18 मई 2020 तक कुल रु 342.01 करोड़ रुपये जमा हुई हैं। इस धनराशि से कुल रु 79,82,37,070/- रकम खर्च की गई हैं। खर्च हुई धनराशि से कोविड 19 पर सिर्फ रु 23, 82,50,000/- खर्च की गई हैं। इसमें से रु 20 करोड़ सेंट जार्ज अस्पताल, मुंबई को आवंटित किया गया और रु 3,82,50,000/- रकम मेडिकल शिक्षा और संशोधन विभाग को दी गई हैं।
प्रवासी मजदूरों के लिए जो रकम आवंटित की गई हैं उसे राज्य के कलेक्टरों को सौंप दी गई हैं ताकि रेलवे का किराया का भुगतान समय पर हो सकें। इसमें 36 जिलों के जिलाधिकारियों को प्रवासी मजदूरों का किराया देने के लिए आवंटित किया गया है जिसकी रकम रु 53,45,47,070/- हैं। रत्नागिरी जिलाधिकारी को मजदूर का रेलवे का किराया देने के लिए रु 1.30 करोड़ और सांगली में मजदूर का रेलवे का किराया रु 44.40 लाख अदा किया गया हैं। औरंगाबाद में हुए रेलवे दुर्घटना में प्रति मृतक व्यक्ति को रु 5 लाख के हिसाब से रु 80 लाख रुपए की आर्थिक मदद सीएम रिलीफ फंड कोविड 19 के अकाउंट से की गई हैं।
The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए अनिल गलगली ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना को लेकर कुल जमा रकम में से सिर्फ 7 फीसदी रकम स्वास्थ्य सेवा पर खर्च किया हैं। प्रवासी मजदूरों की रेलवे टिकट पर 16 प्रतिशत रकम खर्च की हैं और रेलवे दुर्घटना के मृतकों पर 0.23 प्रतिशत रकम खर्च की हैं। आज भी सीएम रिलीफ फंड में रु 262.28 करोड़ रुपए की धनराशि हैं।

मुख्यमंत्री राहत कोष कोविड-19 में दान देने की अपील के बाद मिले 342 करोड़

28 मार्च, 2020 को महाराष्ट्र सरकार ने कोरोनो वायरस महामारी के प्रभाव से निपटने में सरकार की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष कोविड-19 की स्थापना की थी और लोगों से इसमें धन दान करने की अपील की थी। देनदाता इस दान पर धारा 80 (जी) के तहत आयकर से छूट भी प्राप्त कर पा रहें थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अपील के बाद महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर लोगों ने इस राहत कोष में दान दिया था।

कॉर्पोरेट्स कंपनियों ने अपने सीएसआर फंड का इस्तेमाल किया और दान दिया

कोरोना के इस संकट में महाराष्ट्र सरकार को कोई आर्थिक दिक्कत और संकट ना आये इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव की अपील के बाद आम जनता ने तो दान दिया ही लेकिन कई NGO, कॉरपोरेट और धार्मिक संगठन संकट को दूर करने के लिए राज्य के प्रयासों में योगदान देने के लिए आगे आये। कॉर्पोरेट कंपनियों ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड का भी इस्तेमाल किया और सरकार की तिजोरी भरी। लेकिन कोरोना के इस संकट काल में अगर इस महामारी को हराने के लिए पैसे ही खर्च ना हो तो सरासर सरकार की नाकामी है।
कोरोना से लड़ने के लिए जहां अस्पतालों की कमी, बेड्स की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी साफ़ तौर पर दिख रही है, इन्ही कमी को पूरा करने के लिए जनता ने बढ़चढ़ कर दान दिया ताकि बीएमसी, सरकारी अस्पतालों में मेडिकल से जुड़ी सेवाओं की पूर्ति पर पैसे की कमी ना आये। फिलहाल पैसों की कमी नहीं है, अकूत पैसा है लेकिन शायद सरकार को ये समझ में नहीं आ रहा कि इस पैसों का खर्च कैसे किया जाय ताकि कोरोना की महामारी से बचा जा सके।
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