आज सुप्रीम कोर्ट ने तीन बड़े फैसले किये, और तीनों फैसलों में राहत मिली, केंद्र सरकार को राहत मिली कि राफेल मामले की जाँच नहीं होगी, राहुल गांधी को राहत मिली कि पीएम नरेंद्र मोदी को “चोर” कहने के मामले में राहुल के माफीनामे को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और कोई केस नहीं चलाने का आदेश दिया और साथ ही चेतावनी भी जारी की, वही तीसरे मामले में सबरीमाला में कोई ठोस फैसला नहीं निकला और पुराना फैसला बरक़रार रखते हुए मामले को ऊपरी बेंच को भेज दिया, इसमें भक्तों को राहत मिली। इन तीनों मामलों को विस्तार से देखें तो सबरीमाला मामले में कोर्ट में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को लेकर दाखिल की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की और इस मामले को 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया, कोर्ट ने यह फैसला 3-2 के बहुमत किया। सुनवाई के दरमियान कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हो, हालांकि कोर्ट ने पिछले फैसले पर स्टे नहीं लगाया है और 28 सितंबर वाले फैसले पर कोई बदलाव अभी फिलहाल नहीं हुआ है। पिछला फैसला अभी भी बरकरार है जिसमे सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक की व्यवस्था को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था।
17 नवम्बर को चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे है, मामला अब अपर बेंच करेगा लेकिन आईये जान लेते है कि क्या है सबरीमाला मंदिर का पूरा विवाद? केरल के पथानामथिट्टा ज़िले में पेरियार टाइगर रिजर्व है, इस टाइगर रिजर्व के बीचोंबीच सबरीमाला मंदिर है, दुनिया के सबसे बड़े हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है, हर साल करोड़ों श्रद्धालु यहां जाते हैं, मंदिर में कई साल से एक नियम चल रहा था, ये कि मंदिर में 10 से 50 साल तक की औरतें प्रवेश नहीं कर सकतीं। सबरीमाला भगवान अयप्पा का मंदिर है, लोगों का मानना है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं इसलिए उनके मंदिर में उन औरतों को नहीं जाना चाहिए, जिन्हें पीरियड्स आते हैं, क्योंकि वो औरतें ‘अपवित्र’ होती हैं। मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं को 41 दिनों तक उपवास करना होता है, रुद्राक्ष पहनना पड़ता है, शुद्ध और सात्विक रहना पड़ता है। और यही विवाद का जड़ है कि आखिरकार महिलाएं क्यों नहीं जा सकती, बहरहाल मामला अब लटक गया है।
